Tuesday 3 May 2011

आंसू



दिल में लगी है जो आग 
उसका धुआं है ये आंसू 
सुबह और शाम जो की है 
वो दुआ हैं ये आंसू 
दफ्न किये जिंदा अरमानो के कब्र 
पर चदे फूल हैं ये आंसू 
भुला न पाए जो उम्रभर 
वो भूल हैं ये आंसू
इनसे न तू नज़रें चुरा 
तेरी बेरुखी के पहचान हैं ये आंसू 
दोस्त होकर दुश्मन की तरह चाहने वाले 
तेरी इस चाहत के कद्रदान हैं ये आंसू 



No comments:

Post a Comment