ज़िन्दगी तेरी हर अदा हमें छल गयी
खुशी समझ जो पकड़ना चाहा
तो बंद मुट्ठी से रेत सी फिसल गयी
जो गम समझ कर
दिल में छुपा लेना चाहा
तो आँख से आंसूं बन कर ढलक गयी
जो इंतजार समझ कर तुझे
सब्र से गुज़ारना चाहा
तो आहट बन कर बिखर गयी
जब सौगात समझ कर देना चाहा
तो पालतू चौपाये सी खूंटे से बंध गयी
जब प्यार समझ कर पाना चाहा
तो बेवफा माशूक की तरह तेवर बदल गयी
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