Monday 2 May 2011

जिंदगी



ज़िन्दगी तेरी हर अदा हमें छल गयी 
खुशी समझ जो पकड़ना चाहा
तो बंद मुट्ठी से रेत सी फिसल गयी 
जो गम समझ कर 
दिल में छुपा लेना चाहा 
तो आँख से आंसूं बन कर ढलक गयी 
जो इंतजार समझ कर तुझे 
सब्र से गुज़ारना चाहा 
तो आहट बन कर बिखर गयी 
जब सौगात समझ कर देना चाहा 
तो पालतू चौपाये सी खूंटे से बंध गयी
जब प्यार समझ कर पाना चाहा 
तो बेवफा माशूक की तरह तेवर बदल गयी 



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