Monday 2 May 2011

तेरे नाम के साथ



कुछ सुनना नहीं रहा बाकी
सागर की खनक सुनकर साक़ी
प्यास बढ़ाने को मैं जो हाथ बढाऊँ 
आँखों से एक बार मुस्करा देना साकी 
फिर पीना न रहे बाक़ी, पिलाना न रहे बाक़ी 
अंधेरों में गुम था मैं 
जो तेरे नाम के साथ जुड़कर हुआ बदनाम 
उजाले की तलाश न रही बाक़ी
मौसम खूबसूरत हैं बेखुदी का आलम है 
ऐसे में जाओ, तुम मुझे छोड़ कर जाओ 
मेरा होश में आना है अभी बाक़ी 
आ गया जो होश, जा न सकोगे साक़ी 



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