क्या कहें तीर-ए-नज़र के असर को
कमान से छूटा भी नहीं, थामे पड़े हैं हम जिगर को
होश मेरे उड़ गए उनके आने की खबर सुनकर
अब जाम पे जाम भरके खाली न कर सागर को
अभी तो तेरे पर्दानशीं रुख की एक झलक देखी है ऐ जिंदगी !
जन्म - जन्म तक मुर्दा ही पैदा होंगे जो देख लिया
तेरे बेनकाब रुख-ऐ-असर को
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